आचार्य चंद्रबली पाण्डेय ने 'तसव्वुफ़ अथवा सूफ़ीमत' नामक पुस्तक लिखी, जो हिंदी में सूफ़ीमत का पहला क्रमबद्ध अध्ययन है। इस ग्रंथ में सूफ़ीमत का उद्भव, विकास, आस्था, प्रतीक, अध्यात्म साहित्य आदि विषयों पर विस्तार से विचार किया गया है। परिशिष्ट में तसव्वुफ़ का प्रभाव तथा तसव्वुफ़ पर भारत का प्रभाव, विषयों पर भी अध्ययन किया गया है। किंतु इसमें ईरान और अरब के सूफ़ीमत पर जितना विस्तार से विचार किया गया है उतना भारतीय सूफ़ीमतवाद पर नहीं। मलिक मुहम्मद जायसी तथा अन्य कवियों पर पाण्डेय जी के अन्य लेख भी नागरी प्रचारिणी पत्रिका में तथा अन्यत्र प्रकाशित हो चुके हैं। नूरमुहम्मद कृत 'अनुराग बांसुरी' में उन्होंने एक भूमिका दी है, जिसमें सूफ़ी कवियों की कुछ विशेषताएँ स्पष्ट की गई हैं।[3] पाण्डेय जी की प्रमुख रचनाएँ हैं, जो इस प्रकार है:-
- उर्दू का रहस्य
- तसव्वुफ़ अथवा सूफ़ीमत
- भाषा का प्रश्न
- राष्ट्रभाषा पर विचार
- कालिदास
- केशवदास
- तुलसीदास
- हिन्दी कवि चर्चा
- शूद्रक
- हिन्दी गद्य का निर्माण
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